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काबिलियत अच्छे संसाधनों की मोहताज नहीं होती। काबिल इंसान विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता की राह बनाकर अपने लक्ष्य तक पहुँच ही जाता है। महाराष्ट्र के जलाना की रहने वाली मिस्बाह की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। उन्होंने गरीबी से लड़ते हुए NEET परीक्षा क्रैक कर डॉक्टर बनने की तरफ एक कदम बढ़ा दिया है।

मिस्बाह के पिता अनवर खान मोटरसाइकिल रिपेयर करने करने का काम करते हैं जबकि उनकी माँ गृहणी हैं। उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं, उनका गरीबी से जूझते हुए ज़िंदगी जी रहा हैं। मिस्बाह ने भी इस गरीबी के आगे कभी हार नहीं मानी और पूरी मेहनत से पढ़ाई में लगी रहीं। घर की आर्थिक तंगी के कारण उनके लिए कोचिंग कर पाना संभव नहीं था लेकिन इस बीच उन्हें अंकुश सर के फ्री क्लास का सहारा मिला।

नीट की तैयारी कराने वाले अंकुश गरीब छात्रों के लिए एक योजना चलाते हैं। जिसके तहत गरीब बच्चों को मुफ्त कोचिंग दी जाती है। मिस्बाह भी इसी योजना का हिस्सा थीं। उन्होंने यहां से बिना किसी फीस के मुफ्त कोचिंग ली और पूरी मेहनत से NEET की तैयारी की।
आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई उन्होंने NEET की परीक्षा 633 नम्बरों के साथ पास करके, अपने पिता और शिक्षक का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। मिस्बाह ने साबित कर दिया कि- ‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती; कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!’


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