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आज रामलला टेंट से मुख्य मंदिर में करेंगे प्रवेश, 500 साल बाद आया ऐतिहासिक क्षण

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अयोध्या में आज 500 साल के बाद लंबे संघर्ष के बाद रामलला अपने अस्थायी टेंट से दिव्य और भव्य मंदिर में प्रवेश करने वाले हैं।यह एक ऐतिहासिक क्षण माना गया है।

HIGHLIGHTS

  • 20 से 22 जनवरी को छावनी में तब्दील होने वाला है अयोध्या
  • ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा
  • राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी
अयोध्या में आज 500 साल का इंतजार खत्म हो जाएगा. रामलला अपने अस्थायी टेंट से मुख्य मंदिर में प्रवेश करने वाले हैं. यह पांच सौ साल का लंबा इंतजार है. रामलला आज अपने घर में विराजमान होने वाले हैं. मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. अयोध्या में आज बाहरी लोगों का प्रवेश नहीं हो सकेगा. अयोध्या दो दिन यानि 20 से 22 जनवरी को छावनी में तब्दील होने वाला है. यह हाई सिक्योरिटी जोन बन जाएगा.  500 साल के लंबे संघर्ष के बाद आज रामलला अपने अस्थायी टेंट से दिव्य और भव्य मंदिर में प्रवेश करने वाले हैं. इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है. आखिर ऐसा क्यों न हो, राम मंदिर के लिए देशवासियों को लंबा इंतजार करना पड़ा है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरा देश जश्न मना रहा है।रामलला के चेहरे पर मधुर मुस्कान

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. इससे पहले रामलला की तस्वीर सामने आई है. यह तस्वीर रामलला के विराजमान होने के पहले की है. इस तस्वीर में रामलला के चेहरे पर मधुर मुस्कान देखी जा सकती है. माथे पर ​पारंपरिक तिलक और हाथों में धनुष-बाण के साथ भगवान राम का बाल स्वरूप पेश किया गया है।

मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज

51 इंच की रामलला की मूर्ति की जब पहली बार तस्वीर सामने आई तो वह सफेद कपड़े से ढकी हुई थी. इसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है. इस मूर्ति को गुरुवार को सुबह मंदिर में लाया गया था. अरुण योगीराज कर्नाटक के रहने वाले हैं, मैसूर में उनकी पांच पीढ़ियां इस कला में निपुण रही हैं. मूर्तिकारों में अरुण योगीराज का नाम सबसे आगे है. अरुण वह मूर्तिकार हैं, जिनकी पीएम नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं. अरुण के पिता योगीराज भी एक मशहूर मूर्तिकार हैं. उनके दादा भी हस्तशिल्प में माहिर थे. उन्हे मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था।

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