चित्रगुप्त पूजा और भैया दूज आज, बहनें अपने भाई की सलामती के लिए करेंगी आराधना, यहां जानें पूजा का समय और त्योहार का महत्व

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कलम जीवियों के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा व भैया दूज का त्योहार बुधवार को मनाया जायेगा। इसे लेकर मंगलवार को मंदिरों में तैयारी जारी रही। नौजर घाट स्थित श्री आदि चित्रगुप्त मंदिर में सामूहिक पूजा की तैयारी हुई।

मंदिर प्रबंधक समिति के उपाध्यक्ष संजय सिन्हा और सुदामा सिन्हा ने बताया कि चित्रगुप्त पूजा के दिन मंदिर में सामूहिक पूजन व प्रसाद वितरण के उपरांत दर्शन के लिए आने वाले प्रबुद्ध जनों को सम्मानित करने के साथ महाआरती, भजन संध्या व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा।

राजधानी के विभिन्न इलाकों में स्थापित प्रतिमाओं का विसर्जन गुरुवार को मंदिर परिसर में बने कृत्रिम तालाब में किया जाएगा।

दूसरी ओर, भाई की सलामती व लंबी उम्र की कामना के लिए मनाये जाने वाले भैया दूज को को लेकर मंगलवार को बहनों ने पूजन सामग्रियों की खरीदारी की। इसको लेकर बाजार में देर शाम तक चहल पहल बनी रही।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेशवासियों को चित्रगुप्त पूजा एवं भैयादूज की शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि ज्ञान के अधिष्ठाता चित्रगुप्त भगवान की पूजा एवं आराधना से लोगों में पढ़ने-लिखने की अभिरुचि बढ़ती है।

लोगों में पढ़ने-लिखने के प्रति बढ़ती हुई अभिरूचि के फलस्वरूप बिहार में ज्ञान और शिक्षा का प्रकाश घर-घर फैलेगा। आज का युग ज्ञान का युग है। सबके प्रयास से बिहार सुखी, समुन्नत और समृद्ध बनेगा।

चित्रगुप्त पूजा समिति की ओर से गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी में आज पूजा-अर्चना की जाएगी। पूजा के बाद सामाजिक समरसता भोज का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी प्रबंध न्यास समिति के अध्यक्ष पूर्व एमएलसी डा. रणवीर नंदन ने दी।

सुबह 9.00 से 12.00 बजे तक सामूहिक पूजा और हवन में राजधानी के गणमान्य लोग भाग लेंगे। प्रसाद वितरण के बाद 1.30 बजे से सामाजिक समरसता भोज और रक्तवीर जैनेंद्र ज्योति की स्मृति में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन होगा। इस मौके पर समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाएगा।

भाई-बहन के स्नेह व सौहार्द का प्रतीक त्योहार भाई दूज बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई को घर बुलाकर या उनके घर जाकर उन्हें तिलक करके खाना खिलाती हैं।

दीपावली के दो दिन बाद मनाये जाने के कारण इसे यम द्वितीया (गोधन भी कहते हैं) भी कहा जाता है। इस दिन यम देव की पूजा भी की जाती है। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी और सुखी जीवन की प्रार्थना करती हैं।

वहीं, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। भरत मिश्र में संस्कृत महाविद्यालय के प्रोफेसर डा. अम्बरीश कुमार मिश्रा ने बताया कि इस दिन भाई-बहन का एक साथ जमुना, सरयू, गंगा एवं पवित्र नदियों में डुबकी लगाना शुभ होता है।

आज बहनें भाई के माथे पर चंदन, काजल व हल्दी का टीका लगा कर उसकी लंबी आयु की कामना करेंगी। बुधवार की दोपहर तीन बजे तक मुहुर्त शुभ है, इससे पहले कभी भी पूजा की जा सकती है। इस दिन भाइयों को विशेष पकवान बना कर खिलाना चाहिए। गोधन कूटने की धार्मिक परंपरा रही है।

परंपरा के अनुसार बहने गोधन की पूजा कर भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। इसको लेकर भी बहनों ने गोबर से भी विग्रहों की आकृति बनाई है। इसमें गोबर से ही यम और यामी की प्रतिमा बनाई गई। इसके अलावा सांप, बिच्छू ,चूल्हा, कुआं भी बनाया गया।

गोबर की मानव मूर्ति बनाकर उस पर ईंट रखने की भी परंपरा होती है। पूजा से पहले बहने अपने भाई को श्राप देती हैं, फिर बहने प्रति भाई पांच फेरे की रूई की माला बनाकर चढ़ाती हैं और जीभ में कांटा चुभती है,आखिर में छठ की पांच गीत गाने की भी परंपरा निभाई जाती है।

मान्यता है कि ऐसा करने से गोधन कूटने वाली बहनों के भाइयों की उम्र लंबी हो जाती है। यम द्वितीया के दिन भाइयों को श्राप देने से उन्हें मृत्यु का भय नहीं रहता है। उसके बाद बहनें भाई को चंदन, दूभ और हल्दी का तिलक भाइयों को लगाती हैं। उन्हें बजरी खिलाकर लंबी उम्र की कामना करती हैं।

भाई दूज की कथा

भाई दूज से जुड़ी धार्मिक व पौराणिक कथा यमुना और यमराज से जुड़ी है। इसके अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी छाया के गर्भ से दो संतान यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था।

यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थी। वह अपने भाई को हमेशा भोजन के लिए घर बुलाती थी, लेकिन यमराज अपने व्यस्त कार्यों से कारण यमुना के घर नहीं जा पाते थे और हमेशा टाल देते थे। एक बार कार्तिक शुक्ल के दौरान यमुना ने फिर से यमराज को भोजन के लिए आमंत्रित किया।

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राण हरने वाला हूं। इसलिए मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाता। लेकिन बहन यमुना जिस प्यार के साथ मुझे बुला रही है, इसका मान रखना भी मेरा कर्तव्य है। तब यमराज बहन यमुना के घर पहुंचे। भाई यमराज को अपने घर पर देख बहन यमुना की खुशी का ठिकाना न रहा।

उसने यमराज के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाएं। यमराज को बहन द्वारा कराया गया भोजन और अतिथि सत्कार खूब पसंद आया। उसने खुश होकर बहन से जब कुछ मांगने को कहा तो यमुना ने यमराज से हर साल इसी दिन घर आने का वचन ले लिया।

यमुना ने कहा कि मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार कर टीका करेगी, उसके भाई को यमराज का डर नहीं होगा। यमराज ने तथास्तु कहा और बहन यमुना को वस्त्र-आभूषण देकर यमलोक चले गए। तब से हर साल इस दिन भाई दूज पर्व मनाने की परपंरा चली आ रही है।

Kumar Aditya

Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.

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