सीतामढ़ी : वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होना वाला है। इससे पूर्व ही सीतामढ़ी जिले की राजनीतिक फिजां में गरमाहट आ गई है। पहले पूर्व सांसद अर्जुन राय के बयान से महागठबंधन की राजनीति में कड़वाहट उजागर हो गई थी। बाद में जदयू नेता राणा रंधीर सिंह चौहान के पटना आवास पर लोकसभा प्रत्याशी को लेकर निर्णय से उक्त गठबंधन में एक तरह से दरार ही पैदा हो गया। अब विधान परिषद के सभापति सह जदयू के कद्दावर नेताओं में शुमार देवेश चंद्र ठाकुर के बयान से जिले में जदयू और राजद की राजनीति में दरार स्पष्ट दिखाई देने लगी है। ये कहने में दो मत नहीं है कि सीतामढ़ी में महागठबंधन के नेता दो खेमों में बंटते नजर आ रहे है।
विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के ताजा बयान से जेडीयू में हलचल पैदा हो जाएगी। उन्होंने ऐसी बात कही है, जिसे नीतीश कुमार भी शायद ही पसंद करें। उन्होंने कहा है कि सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में उनके सिवा महागठबंधन का कोई प्रत्याशी नहीं जीत सकता है। उन्होंने खुद को टिकट नहीं मिलने पर कहा कि यदि दो नेताओं को टिकट मिलता है, तो वे विरोध करेंगे। भले ये निर्णय पार्टी के बड़े नेताओं का क्यों न हो। वे चुनाव में उनका विरोध करेंगे। ठाकुर के इस बयान से निश्चित तौर पर जिला ही नही, बल्कि महागठबंधन के राज्य नेतृत्व में भी हलचल पैदा हो गई होगी।
दरअसल, जब से महागठबंधन की ओर से सीतामढ़ी लोकसभा का संभावित उम्मीदवार के रूप में ठाकुर ने अपने नाम की घोषणा की है। उनके खिलाफ पार्टी नेताओं की ओर से विरोध के स्वर आने शुरू हो गए हैं। उनका विरोध खुलकर जिले का कोई नेता नहीं कर रहा था। हालांकि, परदे के पीछे से जरूर विरोध किया जा रहा था। ये विरोध खुलकर सामने आया था, तब जब राजद नेता सह पूर्व सांसद अर्जुन राय ने प्रेस कांफ्रेंस कर विधान परिषद सभापति ठाकुर का नाम लिए बगैर उनकी उम्मीदवारी पर टिप्पणी की थी।
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