PM नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से भारत के भविष्य की कई योजनाओं का ऐलान किया। ‘सबका साथ—सबका विकास’ के मूल मंत्र को साथ लिए पीएम मोदी ने इस मौके पर प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Kaushal Samman Yojana – PM VIKAS) का भी ऐलान किया। यह स्कीम देश के आर्थिक पिरामिड के सबसे निचले स्तर पर मौजूद बढ़ई, मोची, धोबी जैसे कामगारों के लिए है। लाल किले से पीएम की घोषणा के अगले ही दिन केंद्रीय केबिनेट ने भी इस योजना को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
यह योजना 18 तरह के पारंपरिक कामगारों के लिए है। जिन्हें सरकार मात्र 5 फीसदी ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराएगी। इसका योजना की मदद से 30 लाख से अधिक कामगारों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। अगले साल होने वाले आम चुनावों को देखते इस स्कीम को मोदी सरकार के लिए गेम चेंज माना जा रहा है। आइए जानते हैं कि यह योजना क्या है, किसके लिए है, कैसे इसका फायदा उठा सकते हैं और क्या यह योजना वाकई में निचले तबके के कामगारों को आर्थिक विकास की धारा से जोड़ने में कामयाब होगी?
केंद्र सरकार की ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ ऐसे स्वरोजगारी लोगों के लिए है जो मशीनों का इस्तेमाल किए बिना पारंपरिक हथियारों की मदद से काम करते हैं। सरकार ने इसमें धोबी, बढ़ई, नाई, लोहार जैसे 18 तरह के कामगारों को शामिल किया है। इस पर वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 के बीच पांच वर्षो की अवधि में 13 हजार करोड़ रूपये का खर्च आयेगा तथा इससे 30 लाख पारंपरिक कारीगरों को लाभ होगा। इस योजना के दो चरण हैं, पहले चरण में कामगारों को 5 प्रतिशत की दर से 1 लाख रुपये का कर्ज मुहैया कराया जाएगा। अगले चरण में यह राशि बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी जाएगी।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी में पेश हुए आम बजट के दौरान इस योजना की घोषणा की थी। इसके तहत न केवल आर्थिक मदद दी जानी है, बल्कि ट्रेनिंग, मॉडर्न टेक्नोलॉजी के बारे में बताना और ग्रीन तकनीक, ब्रांड का प्रमोशन, स्थानीय और वैश्विक बाजारों से जुड़ाव के साथ डिजिटल पेमेंट्स और सामाजिक सुरक्षा की भी बात शामिल है। इस योजना में 18 प्रकार के पारंपरिक कामगारों को शामिल किया है। इसमें बढ़ई, नौका बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा एवं औजार बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, पत्थर की कारीगरी करने वाले, चर्मकार, राज मिस्त्री, दरी, झाड़ू एवं टोकरी बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले आदि शामिल हैं।
पारंपरिक कामगारों को सस्ती दरों पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने वाली इस स्कीम को लेकर सरकार ने तैयारियां जोरशोर पर शुरू कर दी हैं। केंद्रीय केबिनेट ने इस योजना को 16 अगस्त को ही मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना की शुरुआत अगले महीने 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर की जाएगी। इस मौके पर एक खास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस योजना की शुरुआत करेंगे। बता दें कि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है।
सरकार ने इस योजना को दो चरणों में बांटा है। कारोबार को शुरू करने के बाद जब इन कामगारों को व्यवसाय को व्यवस्थित करने और विस्तार करने के लिए पैसों की जरूरत होगी तब इस योजना के दूसरे चरण में 2 लाख रूपये का रियायती लोन प्रदान किया जायेगा। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों, शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र प्रदान कर मान्यता भी दी जायेगी और पहचान पत्र भी दिया जायेगा। इस योजना के तहत कारीगरों को डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन और बाजार समर्थन प्रदान किया जायेगा।
इस योजना का एक अहम हिस्सा कौशल विकास का भी है। इसके माध्यम से गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल कार्यों को बढ़ाने वाले कामगारों का कौशल विकास किया जायेगा। साथ ही कारोबार बढ़ाने के लिए उन्हें ऋृण सुविधा एवं बाजार पहुंच प्रदान करने में मदद की जायेगी। इसके तहत दो प्रकार का कौशल विकास कार्यक्रम होगा जिसमें पहला ‘बेसिक’ और दूसरा ‘एडवांस’ होगा। इस कोर्स को करने वालों को मानदेय (स्टाइपंड) भी मिलेगा। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को प्रतिदिन 500 रुपये के हिसाब से मानदेय दिया जायेगा।
इस योजना की सबसे अधिक चर्चा इसकी टाइमिंग को लेकर भी है। 2024 में चुनाव होने हैं, जहां सरकार अपनी फ्लैगशिप स्कीम के साथ जाना चाहती है। यह योजना सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, महिलाएं और कमजोर वर्ग को लाभ पहुंचाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि इसके क्रियान्वयन पर सरकार ने संजीदगी से कार्य किया तो यह यह योजना सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, महिलाएं और कमजोर वर्ग को लाभ पहुंचाएगी।
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