केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 पर विपक्ष के तीखे हमलों का जवाब दिया। सोमवार यानी 11 दिसंबर को राज्यसभा में शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विलय में देरी का मुख्य कारण पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। उन्होंने सदन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 370 अस्थाई समाधान था। जवाहरलाल नेहरू का काम जिन भी लोगों को पसंद आता है और वो जो उनके विचारों के समर्थक है उनको भी ये पसंद नहीं आता है। जवाहर लाल नेहरू ने भी अनुच्छेद 370 को अस्थाई कहा था। शाह ने कहा कि मेरा सवाल इतना सा है कि अगर 370 की इतनी ही जरूरत थी तो इसे अस्थाई क्यों बोला गया। 370 को स्थाई कहने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
अमित शाह ने इस दौरान कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस को आपत्ति है। मैं इनको (कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल) नहीं समझा सकता हूं क्योंकि मेरी मर्यादा है। अमित शाह ने राज्यसभा में अपने भाषण में कहा, जो लोग यह कहते हैं कि अनुच्छेद 370 स्थाई है, वो लोग संविधान सभा का अपमान कर रहे हैं। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब जम्मू कश्मीर के संविधान की कोई वैधता नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही वादा किया था कि जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा सही समय आने पर उसे बहाल कर दिया जाएगा।
शाह ने अपने संबोधन में आगे कहा कि कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 के कारण अलगाववाद पैदा हुआ। इस कारण आतंकवाद को यहां बढ़ावा मिला। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार विस्थापित कश्मीरी लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। पाकिस्तान के कब्जे वाला पीओके हमारा है। हमसे उसे कोई नहीं ले सकता है। उन्होंने इस दौरान आगे कहा कि अगर नेहरू और दो दिन रूक जाते और युद्धविराम नहीं किया जाता तो पीओके नहीं होता। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इनकी बड़ी हार है। जम्मू कश्मीर के तीन परिवार ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत सत्ता का आनंद लिया और लोगों को 75 सालों तक सभी अधिकारों से वंचित रखा।
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