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ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड : CBI ने नहीं पेश की डायरी, अब इस दिन होगी मामले की अगली सुनवाई

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ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में बुधवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने इस मामले से जुड़ी डायरी पेश नहीं की। जिसके बाद अब इस मामले की अगली सुनवाई अगले महीने 1 फरवरी को होगी। सीबीआइ द्वारा पूरक आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद बुधवार को दूसरी तारीख थी। लेकिन, सीबीआई ने इस मामले से जुड़ी डायरी पेश नहीं की उसके बाद यह नई तारीख दी गई है। इस मामले में लोजपा (रामविलास) के प्रदेश संसदीय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हुलास पांडे समेत आठ लोगों का नाम चार्जशीट में दिया गया है।

दरअसल, रणवीर सेवा के सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या एक जून, 2012 को उस समय कर दी गई थी, जब वे सुबह में घर से टहलने निकले थे। एक साल बाद 2013 में राज्य सरकार ने इस हत्याकांड की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। इसके बाद सीबीआइ द्वारा कल पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया है। कानून के जानकारों के अनुसार डायरी समर्पित नहीं होने से यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस आरोपित पर किस साक्ष्य के साथ आरोप-पत्र दायर किया गया है। अब डायरी पर ही सबकी निगाहें टिकी हुईं हैं।

वहीं, इस मामले सीबीआई ने आरोप-पत्र में जिक्र किया है कि जांच से पता चला है कि ब्रह्मेश्वर नाथ सिंह उर्फ ब्रह्मेश्वर मुखिया रणवीर सेना के प्रमुख थे और 1990 के दशक के दौरान वे कथित तौर पर सामूहिक हत्या के मामलों में अगस्त 2002 से जेल में थे। जुलाई 2011 में जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने किसान और मजदूरों को एकजुट करना शुरू कर दिया था और उन्हें एक छत के नीचे लाते हुए एक राष्ट्रवादी किसान संगठन का गठन किया था। आरोप है कि सक्रियता बढ़ने के बाद प्रतिद्वंदी के आंखों की किरकिरी बनने लगे। इसके बाद षड्यंत्र रचा गया। एक जून 2012 की सुबह बजे जब वे कतीरा आवास के पास टहल रहे थे तभी शरीर में छह गोलियां दाग कर उनकी हत्या कर दी गई थी। पुत्र इंदु भूषण ने आरा के नवादा थाना में नामजद प्राथमिकी कराई थी।

उधर, सीबीआई के तरफ से दायर चार्जशीट में हुलास पांडेय के अलावा अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रीतेश कुमार उर्फ मोनू, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडे, प्रिंस पांडेय, बालेश्वर पांडेय और मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय के नाम शामिल हैं। इस चर्चित केस में यह बात निकलकर सामने आ रही कि सीबीआई ने आरोप-पत्र तो दाखिल कर दिया है, लेकिन आरोप-पत्र के साथ डायरी समर्पित नहीं की है।

Sumit ZaaDav

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