अमेरिका और चीन के बीच वर्चस्व की जंग जगजाहिर है। ऐसे में अमेरिका और चीन के बीच तनातनी आम है। चाहे वो दक्षिण चीन सागर हो, या ताइवान पर चीन की नीति का अमेरिका द्वारा विरोध करना हो। कारोबारी स्पर्धा भी दुनिया देख रही है। चीन से ऐसी ही तनातनी के बीच अमेरिका के हाथ ऐसा ‘खजाना’ हाथ लगा है, जिससे चीन की बादशाहत जा सकती है। जो ‘खजाना’ मिला है, उसका फायदा भारत को भी हो सकता है। दरअसल, अरबों डॉलर का खजाना अमेरिका के हाथ लगा है।
जानकारी के अनुसार अमेरिका को वयोमिंग में 2.34 अरब मिट्रिक टन रेयर अर्थ खनिज मिले हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस खोज के बाद अमेरिका जल्द ही चीन को रेअर अर्थ खनिजों के मामले में पीछे छोड़ सकता है। अमेरिकी रेअर अर्थ इंक ने ऐलान किया है कि यह नया भंडार चीन के 44 मिलियन मीट्रिक टन के भंडार को पीछे कर देगा। विश्लेषकों ने कहा कि यह भंडार इतना ज्यादा बड़ा है जितना उन्होंने अपने सपने तक में नहीं देखा था। वह भी तब जब उन्होंने अभी केवल 25 फीसदी हिस्से की ही ड्रिलिंग की है।
इस कंपनी के पास हाल्लेक क्रीक प्रॉजेक्ट में 367 जगहों पर खनन का अधिकार है। इसके अलावा वयोमिंग में 1844 एकड़ इलाके में 4 जगहों पर खनन का अधिकार है। यह 2 अरब टन रेअर अर्थ खनिज अमेरिका को इन अनमोल होते खनिजों के मामले में बादशाह बना सकता है। रेयर अर्थ खनिजों का इस्तेमाल स्मार्टफोन से लेकर हाइब्रिड कार और एयरक्राफ्ट तथा लाइट बल्ब और लैंप में इस्तेमाल किया जाता है। यह धरती पर बहुत कम देशों में मिलती हैं और वर्तमान समय में दुनिया में 95 फीसदी रेयर अर्थ मटीरियल चीन से निकलता है। इसी वजह से उसका इस पर पूरी तरह से दबदबा है। इससे हथियार भी बनाए जाते हैं।
इस खोज से भारत को भी बड़ा फायदा हो सकता है जो इस समय रेयर अर्थ और लिथियम जैसे खनिजों के लिए अमेरिका के साथ जुगलबंदी कर रहा है। भारत लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर चीन की मोनोपोली से निपटने में जुटा हुआ है। अक्सर चीन अपनी बात मनवाने के लिए दुनिया में रेयर अर्थ की सप्लाई को रोक देने की धमकी देता रहता है। अब अमेरिका की रेयर अर्थ कंपनी चीन के रेकॉर्ड को तोड़ने में जुट गई है। इस अमेरिकी कंपनी ने मार्च 2023 में अपनी पहली खुदाई शुरू की थी। उसका अनुमान है कि 12 लाख मीट्रिक टन रेयर अर्थ वयोमिंग में मिला है। हालांकि अभी और ज्यादा खुदाई चल रही है।
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