कोरोनावायरस (Coronavirus) की दहशत अभी भी हमारे दिल और दिमाग से उतरा नहीं है. आए दिन कोरोनावायरस (Covid New Variant JN.1) के नए-नए वेरिएंट के बारे में न्यूज और अखबार में पढ़ते और सुनते हैं. अब एक बार फिर से कोरोनावायरस के न्यू वेरिएंट JN.1 ने केरल में दस्तक दे दी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस नए वेरिएंट से एक शख्स की मौत भी हो गई है वहीं एक संक्रमित पाए गए हैं. 8 दिसंबर को आरटी- पीसीआर पॉजिटिव नमूने के मामले मिले.
कोविड न्यू वेरिएंट के लक्षण
जिसमें कोविड के न्यू वेरिएंट के बारे में पता चला. आपको भी इससे जुड़ी शुरुआती लक्षण और बचाव के तरीका के बारे में पता होनी चाहिए ताकि आप इससे खुद का बचाव कर सके. केरल, दक्षिणी भारत का एक राज्य है. जहां कोविड संस्करण JN.1 के मामले मिले हैं. यह नया वेरिएंट चीन और अमेरिका सहित अन्य देशों में फैल रहा है. 8 दिसंबर को केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के काराकुलम में BA.2.86 नाम के एक नए वेरिएंट के केस मिले थे.
जे.एन. 1 में पहले के ओमिक्रॉन के लक्षणों से काफी ज्यादा अलग है
यह पिरोला से इस मायने में भिन्न है कि इसके स्पाइक प्रोटीन में एकल उत्परिवर्तन होता है. हालांकि जे.एन. 1 में पहले के ओमिक्रॉन के लक्षणों से काफी ज्यादा अलग है . इस संक्रामण और हल्के लक्षण एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि कमजोर लोग लगातार खतरे में रहते हैं. यह तनाव बुखार, बहती नाक, गले में खराश और पेट जैसे लक्षणों से जुड़ा हुआ है.
सितंबर में संयुक्त राज्य अमेरिका में JN.1 की प्रारंभिक पहचान के बावजूद, 15 दिसंबर को चीन में सात मामले पाए गए. जिससे वायरस के फैलने की क्षमता के बारे में चिंताएं बढ़ गईं. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने आगाह किया है कि हाल ही में हुए कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा के प्रकोप से संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली प्रभावित हो सकती है. सीडीसी की ट्रैकिंग के अनुसार, नया कोविड संस्करण JN.1 अब बड़े प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है.
मरीजों ने बुखार, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द और, कुछ मामलों में, हल्के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मुद्दों जैसे लक्षणों की सूचना दी है. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में चेस्ट मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. उज्ज्वल प्रकाश के अनुसार, इस किस्म के विकास ने लोगों को सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया है, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है.
आपको अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. मुझे नहीं लगता कि घबराने की या सतर्क रहने के अलावा कोई और कदम उठाने की जरूरत है. डॉक्टर ने आगे कहा, अधिकांश रोगियों में ऊपरी श्वसन संबंधी हल्के लक्षण होते हैं जो चार से पांच दिनों में ठीक हो जाते हैं.
This website uses cookies.
Read More