भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वैसे अकाउंट जो निष्क्रिय हैं यानी जिसमें दो साल से ज्यादा समय से कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ है, उनपर न्यूनतम शेष राशि नहीं रखने पर जुर्माना नहीं लगा सकते। साथ ही यह भी कहा है कि बैंक छात्रवृत्ति राशि या डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर पाने के लिए बनाए गए अकाउंट्स को निष्क्रिय के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकते हैं, भले ही उनका इस्तेमाल दो सालों से ज्यादा समय तक न किया गया हो।
खबर के मुताबिक, बैंकों को दिया गया निर्देश निष्क्रिय खातों पर आरबीआई के नए सर्कुलर का एक हिस्सा है और साथ ही लावारिस बैंक जमा के लेवल को कम करने के इसकी कोशिशों का भी हिस्सा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, नए नियम 1 अप्रैल से लागू हो गए हैं। नए नियमों के तहत, बैंकों को ग्राहकों को एसएमएस, लेटर या ईमेल के जरिए उनके खातों के निष्क्रिय होने की सूचना देनी होगी। बैंकों से यह भी कहा गया है कि अगर किसी निष्क्रिय खाते का मालिक जवाब नहीं देता है तो उस व्यक्ति से संपर्क करें जिसने खाताधारक या खाताधारक के नामांकित व्यक्तियों का परिचय कराया था।
नियमों के मुताबिक बैंकों को निष्क्रिय खाते के रूप में तय किए गए किसी भी अकाउंट में न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने पर दंडात्मक शुल्क लगाने की अनुमति नहीं है। निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। RBI के मुताबिक, मार्च 2023 के आखिर तक लावारिस जमा 28% बढ़कर 42,272 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 32,934 करोड़ रुपये थी।
जमा खातों में कोई भी बैलेंस, जो 10 साल या उससे अधिक समय से ऑपरेट नहीं किया गया है, बैंकों द्वारा आरबीआई द्वारा बनाए गए जमाकर्ता और शिक्षा जागरूकता कोष में स्थानांतरित किया जाना जरूरी है।
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