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पहले ज्योतिरादित्य.. फिर जितिन प्रसाद.. अब देवड़ा, क्या कांग्रसे के युवा दिग्गजों को दूर धकेल रहे राहुल गांधी?

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देवड़ा का दल को त्यागपत्र, काफी सनसनीखेज साबित हुआ। वहीं दूसरी ओर इस सियासी हादसे ने भगवा पार्टी भाजपा को एक बार फिर, राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोलने का मौका दे दिया।

मिलिंद देवड़ा की कांग्रेस से रुखसती के बाद पार्टी की काफी आलोचना हो रही है… कहा जा रहा है कि, पार्टी के तमाम युवा नेता, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और अब मिलिंद देवड़ा जैसे युवा दिग्गजों का नाम शुमार है, सभी एक-एक करके दल से विदाई ले रहे हैं. आरोप ये भी हैं कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी पार्टी से युवा प्रतिभाओं को दूर धकेल रहे हैं. हालांकि फिलहाल की स्थिति में राहुल के पास सचिन पायलट का साथ है, मगर कब तक? ये कहना मुश्किल है।

गौरतलब है कि, आज राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी मणिपुर से शुरू हो चुकी है. ऐसे अहम मौके पर देवड़ा का दल को त्यागपत्र, काफी सनसनीखेज साबित हुआ. वहीं दूसरी ओर इस सियासी हादसे ने भगवा पार्टी भाजपा को एक बार फिर, राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोलने का मौका दे दिया।

राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल

ऐसे में देवड़ा का यूं जाना.. पार्टी के युवा प्रतिभाओं को एकजुट रखने की राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल उठाता है… यहां तमाम राजनीतिक पंडितों का मत है कि, असल में राहुल पार्टी के भीतर ही एक ऐसी मंडली से घिरे हुए हैं, जिसने उन्हें दल के अंदर हो रही गलत चीजों से अलग कर दिया है. यानि सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे नेताओं की पार्टी से नाराजगी और उनके अन्य तमाम निजी मुद्दों से संभवत: राहुल का कभी सामना ही नहीं हुआ।

मगर एक बार फिर यहां सचिन पायलट का जिक्र जरूरी है, क्योंकि अब देवड़ा के जाने के बाद वहीं उन चुनिंदा युवा दिग्गजों में से हैं, जो अभी भी राहुल के साथ हैं. हालांकि सत्य ये भी है कि,  राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस की दुविधा उनके भविष्य के लिए भी अच्छा संकेत नहीं दे रही है. कब-क्या हो जाए.. इसका अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है।

ज्ञात हो कि, मिलिंद देवड़ा के पिता मुरली लंबे समय से कांग्रेस पार्टी का अहम हिस्सा रहे हैं. उनका नाम गांधी परिवार के करीबियों की फेहरिस्त में शुमार रहा है. मिलिंद देवड़ा अबतक इसी विरासत को आगे बढ़ाते आए हैं, हालांकि अब उनकी कांग्रेस से रुखसती आगामी लोकसभा चुनाव पर क्या असर डालेगी ये देखने वाली बात है।

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