जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के नए अध्यक्ष बन गए. जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार, ललन सिंह को उनके पद से हटाने की तैयारी पिछले कुछ दिनों से लगातार कर रहे थे. जिस तरीके से नीतीश कुमार ने ललन सिंह को किनारे लगाया है, उसके पीछे की इनसाइड स्टोरी भी जबर्दस्त है.
इस कहानी की शुरुआत तब से होती है, जब ललन सिंह पिछले कुछ महीनो में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के करीब आते हैं और दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठता बढ़ती है. राजनीति में उठाया गया कोई भी कदम बिना किसी मकसद के नहीं होता है और इसी आधार पर ललन सिंह और लालू प्रसाद के बीच नजदीकी की भनक नीतीश कुमार को भी लगी, लेकिन उस वक्त नीतीश कुमार ने ललन सिंह को लेकर कोई कदम नहीं उठाया.
इस पूरे घटनाक्रम का पहला चैप्टर तब लिखा गया, जब ललन सिंह ने नीतीश कुमार के एक करीबी वरिष्ठ मंत्री के साथ मिलकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव नीतीश के सामने रखा. जिसे नीतीश कुमार ने खारिज कर दिया. जानकारी के मुताबिक ललन सिंह नीतीश कुमार को यह मनवाने की कोशिश कर रहे थे कि वह 18 साल से बिहार में मुख्यमंत्री के पद पर रह चुके हैं और उन्हें अब सत्ता तेजस्वी को सौंप देनी चाहिए, जिसके लिए नीतीश नहीं तैयार हुए.
ललन सिंह के तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव को जब नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया तो उसके बाद ही ललन सिंह ने जनता दल यूनाइटेड को तोड़ने की प्लानिंग शुरू कर दी. सूत्रों के मुताबिक कुछ सप्ताह पहले जनता दल यूनाइटेड के तकरीबन 12 विधायकों की एक गुप्त बैठक हुई थी और डील के मुताबिक ललन सिंह इन 10-12 विधायकों की मदद से तेजस्वी यादव की ताजपोशी कराने के चक्कर में थे, लेकिन इस सीक्रेट मीटिंग की भनक नीतीश कुमार को लग गई.
ललन सिंह और लालू प्रसाद के बीच जो सीक्रेट डील हुई थी, उसके मुताबिक ललन सिंह को तकरीबन जनता दल यूनाइटेड के 12 विधायकों को तोड़कर तेजस्वी यादव की सरकार बनानी थी और इसके बदले में राजद उन्हें राज्यसभा भेजती. विधानसभा में अगर संख्या बल की बात करें तो बिना जनता दल यूनाइटेड (45) के आरजेडी (79), कांग्रेस (19), सीपीआईएमएल (12), सीपीआई (2), सीपीएम (2) और निर्दलीय (1) मिलाकर कुल 115 की संख्या है. ऐसे में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने के लिए 7 अन्य विधायकों की जरूरत थी, जिसकी जुगाड़ में ललन सिंह लगे हुए थे.
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