बिहार में सियासी उलटफेर की अटकलें तेज हो गई हैं। खासतौर से सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल यूनाइटेड में जिस तरह की हलचल है, उससे सियासी पारा चढ़ा हुआ नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीन दिनों के दिल्ली दौरे पर आ रहे हैं और माना जा रहा है कि अगले 48 घंटे में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। ऐसी भी खबर है कि नीतीश दिल्ली दौरे के दौरान कुछ बड़े नेताओं के साथ अनशेड्यूल्ड मीटिंग भी कर सकते हैं। अटकलों का बाजार इसलिए गर्म है कि नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से नाराज चल रहे हैं। वहीं जनता दल यूनाइडेट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के इस्तीफा देने और नीतीश द्वारा पार्टी की कमान खुद अपने हाथों में लेने की संभावना से जुड़ी खबरों की चर्चा भी सियासी गलियारों में हो रही हैं।
नीतीश की नाराजगी की वजह विपक्षी गठबंधन में उचित तवज्जो नहीं मिलना है। न तो प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर गठबंधन में अब तक उन्हें पसंद किया जा रहा है और न ही विपक्षी गठबंधन के संयोजक के तौर पर उनका नाम आगे आ रहा है। इसलिए नीतीश का नाराज होना स्वाभाविक है। नीतीश कुमार 28 दिसंबर को पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में शामिल होंगे। इसके बाद 29 दिसंबर को नीतीश राष्ट्रीय कार्यकारिणी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शामिल होंगे।
सियासी उलटफेर की अटकलों के बीच नीतीश कुमार अपनी पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह से इसलिए नाराज हैं कि अध्यक्ष रहते वे उन्हें पीएम उम्मीदवार नहीं बनवा पाए। वहीं लालू से नीतीश की नाराजगी की ये वजह बताई जा रही है कि उन्होंने इंडिया गठबंधन की पीएम उम्मीदवार के लिए उनके नाम का प्रस्ताव नहीं रखा। अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि ललन सिंह पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं और नीतीश खुद पार्टी की कमान संभाल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक विपक्षी गठबंधन इंडिया से भी जनता दल यूनाइटेड बाहर हो सकता है।
उधर, बीजेपी के सीनियर नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी अब संभव नहीं है। बीजेपी का दरवाजा उनके लिए बंद है। गिरिराज ने कहा कि नीतीश कुमार ने कुर्सी के चलते पलटते-पलटते अपने पूरे व्यक्तित्व को ही जमीन में मिला दिया। वहीं सुशील मोदी का कहना है कि नीतीश का यह स्वभाव है कि वे रह रहकर नाराज हो जाते हैं। आखिर राहुल गांधी को क्यों फोन करना पड़ा? पटना में प्रचार किया गया था कि वे विपक्षी गठबंधन के संयोजक बन सकते हैं। लेकिन लालू और तेजस्वी ने भी उनके नाम का प्रस्ताव नहीं रखा।
दूसरी ओर आरएलजेडी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि अगर नीतीश के एनडीए में शामिल होने की बात होगी तो इसका फैसला बीजेपी को करना है लेकिन मैं इसके लिए उनकी पैरवी जरूर करूंगा। उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि एनडीए छोड़कर आरजेडी के साथ जाना उनका आत्मघाती कदम था।
अब सारी निगाहें नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पर टिकी हुई है। क्योंकि नीतीश कुमार अचानक फैसले लेकर लोगों को हैरत में डालने के लिए जाने जाते हैं। 2022 में भी जब उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ा था तब आखिरी वक्त तक बीजेपी के लोग भी उनके इस मंशा को भांप नहीं पाए थे। हो सकता है इस बार भी नीतीश कुमार ने कोई फैसला कर लिया हो और आखिरी वक्त तक उसके बारे में कुछ भी खुलासा करना नहीं चाहते हैं।
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